कर्नाटक की बेकरियों में केक में कैंसर पैदा करने वाले तत्व: सरकार की चेतावनी
कर्नाटक की स्थानीय बेकरियों में बन रहे केक में कैंसर पैदा करने वाले तत्वों (कार्सिनोजेन्स) की उपस्थिति ने गंभीर चिंता पैदा कर दी है। कर्नाटक सरकार ने राज्य की सभी बेकरियों को चेतावनी जारी की है कि वे सेफ्टी स्टैंडर्ड का कड़ाई से पालन करें अन्यथा उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
सैंपल टेस्टिंग में 12 केक में मिले कार्सिनोजेनिक तत्व
हाल ही में कर्नाटक फूड सेफ्टी और क्वालिटी डिपार्टमेंट ने राज्य की लोकल बेकरियों में बन रहे 235 केक की सैंपलिंग की। इनमें से 12 केक में कार्सिनोजेनिक तत्व पाए गए। कार्सिनोजेन ऐसे तत्व होते हैं जो कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों को जन्म दे सकते हैं। खासकर रेड वेलवेट और ब्लैक फॉरेस्ट जैसे लोकप्रिय केक में कार्सिनोजेन्स का अधिक जोखिम होता है।
क्यों होते हैं ये केक खतरनाक?
इन केक को गाढ़ा, चमकदार लाल और चॉकलेटी रंग देने के लिए आर्टिफिशियल कलर्स का इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा इनमें फ्लेवर के लिए खतरनाक केमिकल्स मिलाए जाते हैं जो हमारी सेहत के लिए नुकसानदेह साबित हो सकते हैं।
आर्टिफिशियल फूड कलर्स: सेहत के लिए खतरा
आर्टिफिशियल फूड कलर्स का उपयोग खाने को आकर्षक बनाने के लिए किया जाता है, लेकिन इनका लगातार सेवन स्वास्थ्य के लिए गंभीर समस्याएं खड़ी कर सकता है।
आर्टिफिशियल कलर्स के दुष्प्रभाव
- कार्सिनोजेनिक तत्वों की उपस्थिति: आर्टिफिशियल कलर्स में पाए जाने वाले कार्सिनोजेन्स कैंसर का कारण बन सकते हैं।
- एलर्जी: ये रंग गंभीर एलर्जी का कारण बन सकते हैं।
- अस्थमा: आर्टिफिशियल रंगों के इस्तेमाल से अस्थमा जैसी सांस की बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है।
- एडीएचडी: छोटे बच्चों में अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (ADHD) जैसी मानसिक समस्याओं का भी खतरा हो सकता है।
बच्चों पर अधिक असर
आर्टिफिशियल रंगों और फ्लेवर्स का सबसे ज्यादा नुकसान छोटे बच्चों को होता है। बच्चों के इंटर्नल ऑर्गन्स नाजुक होते हैं, जिससे वे इन खतरनाक केमिकल्स के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं। बच्चों की पसंदीदा चीजें जैसे आइसक्रीम, कैंडी और केक में आर्टिफिशियल फ्लेवर्स और कलर्स का भरपूर इस्तेमाल होता है।
बच्चों के लिए खतरा कैसे बढ़ता है?
बच्चों को दी जाने वाली पैकेज्ड फूड आइटम्स में भी आर्टिफिशियल तत्वों की भरमार होती है। जैसे-जैसे बच्चों का टेस्ट बड विकसित होता है, उनके भोजन का चुनाव उनके माता-पिता द्वारा किया जाता है। यदि शुरू से ही उनके खाने में आर्टिफिशियल तत्व होंगे, तो उनका शरीर इनसे होने वाले नुकसान को जल्दी महसूस करेगा।
केक से पहले कॉटन कैंडी में मिले थे कार्सिनोजेन्स
कर्नाटक सरकार ने कुछ महीने पहले ही आर्टिफिशियल रंगों के इस्तेमाल को लेकर कड़े कदम उठाए थे। मार्च 2024 में फूड सेफ्टी कमिश्नर ने गोभी मंचूरियन, कॉटन कैंडी, कबाब, और पानीपुरी की चटनी में आर्टिफिशियल रंगों का उपयोग प्रतिबंधित किया था। इन सैंपल्स की जांच में भी कार्सिनोजेनिक तत्व मिले थे।
कैंसर का खतरा: केक में मिले कार्सिनोजेन्स
एम्स, ऋषिकेष में कैंसर विभाग की डाइटीशियन डॉ. अनु अग्रवाल के अनुसार, केक में पाए गए कार्सिनोजेन का प्रभाव तंबाकू की तरह ही होता है। हालांकि, इन दोनों में कार्सिनोजेन की मात्रा अलग-अलग होती है। तंबाकू से 5 साल में कैंसर हो सकता है, जबकि केक में मिले कार्सिनोजेन के कारण लगातार सेवन से 10 साल में कैंसर हो सकता है।
केक से बचने का सही तरीका क्या है?
सभी केक में कार्सिनोजेन नहीं होते हैं, लेकिन आर्टिफिशियल रंगों का अधिक उपयोग करने वाले केक निश्चित रूप से खतरनाक हो सकते हैं। इसलिए, आर्टिफिशियल रंगों से बचने के लिए प्राकृतिक रंगों और फ्लेवर्स से बने केक का सेवन करना ही बेहतर विकल्प है।
आर्टिफिशियल कलर्स की पहचान कैसे करें?
फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) की गाइडलाइंस के अनुसार, पैकेज्ड फूड्स के रैपर पर आर्टिफिशियल कलर्स की जानकारी देनी होती है। अगर फूड डाई का इस्तेमाल हुआ है, तो रैपर पर “contains permitted synthetic food colours” लिखा होता है। लेकिन जब स्थानीय बेकरियां आर्टिफिशियल रंगों का इस्तेमाल करती हैं, तो इन गाइडलाइंस का पालन नहीं किया जाता है।
नेचुरल और हेल्दी विकल्प
- घर पर बने खाद्य पदार्थों का अधिक सेवन करें।
- प्राकृतिक रूप से प्राप्त रंगों का उपयोग करें।
- बच्चों के खाने में विशेष ध्यान दें और पैकेज्ड फूड्स से उन्हें बचाएं।
- मीठे का स्वाद चाहिए तो प्राकृतिक स्रोत जैसे फल और शहद का उपयोग करें।
आर्टिफिशियल फ्लेवर्स का उपयोग: जोखिम बढ़ता जा रहा है
आर्टिफिशियल फ्लेवर्स भी उतने ही खतरनाक होते हैं जितने आर्टिफिशियल कलर्स। बाजार में बिकने वाले अधिकतर केक और मिठाइयों में इनका उपयोग होता है। बिजनेस की प्रतिस्पर्धा के चलते, खाने को आकर्षक बनाने के लिए फ्लेवर्स और कलर्स का ज्यादा इस्तेमाल किया जा रहा है।
फूड इंडस्ट्री: फायदे के लिए सेहत से खिलवाड़
आज की फूड इंडस्ट्री का उद्देश्य केवल खाने को बेचने और मुनाफा कमाना है। इसके लिए तरह-तरह के फ्लेवर्स और कलर्स का उपयोग किया जाता है, जो खाने को भले ही आकर्षक बनाते हों, लेकिन हमारे शरीर को गंभीर नुकसान पहुंचाते हैं।
भविष्य की पीढ़ियों के लिए चेतावनी
आर्टिफिशियल कलर्स और फ्लेवर्स का लगातार सेवन हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए भी खतरनाक साबित हो सकता है। इसलिए, हमें समय रहते सचेत होकर नेचुरल और ऑर्गेनिक खाद्य पदार्थों का सेवन बढ़ाना चाहिए।
स्वास्थ के लिए जागरूकता जरूरी
कर्नाटक में केक में कार्सिनोजेन्स का मिलना एक गंभीर चेतावनी है। यह केवल कर्नाटक तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे देश में फूड सेफ्टी को लेकर सख्त कदम उठाने की जरूरत है। आर्टिफिशियल कलर्स और फ्लेवर्स का इस्तेमाल केवल फूड इंडस्ट्री के मुनाफे के लिए हो रहा है, जबकि इसके सेवन से हमें गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है।
हम सभी को खाने के प्राकृतिक और सेहतमंद विकल्पों की ओर ध्यान देना चाहिए और अपने परिवार, खासकर बच्चों को इन खतरनाक खाद्य पदार्थों से दूर रखना चाहिए।